Indian Penal Code: अगर कोई शख्स बहकावे में आकर (Being deceived) या उकसाने (Provoking) पर किसी को मारने या गंभीर नुकसान पहुंचाने की सोचता है, लेकिन वो ऐसा करता नहीं. उसके बावजूद वो अपराध का भागीदार होगा या नहीं. इसी पर आधारित है भारतीय दंड संहिता की धारा 115 (Section 115). आइए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 115 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 115 (Indian Penal Code Section 115)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 115 (Section 115) के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो मृत्यु या आजीवन कारावास (Death or life imprisonment) से दण्डनीय अपराध (Punishable offense) करने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप (as a result of abetment) न किया जाए, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई प्रकट किया हुआ संबंध इस संहिता में नहीं किया गया है. वह व्यक्ति दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी ओर जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाएगा.
यदि किसी को नुकसान पहुंचाने वाला कार्य किया जाता है और यदि ऐसा कोई कार्य कर दिया जाए, जिसके लिए दुष्प्रेरक उस दुष्प्रेरण के दायित्व के अधीन हो और जिससे किसी व्यक्ति को यदि कोई नुकसान होता है तो दुष्प्रेरक दोनों में से किसी भी प्रकार के कारावास से जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माना लगा कर दण्डित किया जाएगा.
आसान भाषा में उदाहरण के साथ इसे ऐसे समझें कि राजेश, रंजन को अनिल की हत्या करने के लिए उकसाता है. जिसके उकसावे में आकर रंजन अगर अनिल की हत्या कर देता तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय होता. लेकिन अगर अनिल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है तो रंजन कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा. अगर बहकावे की वजह से अनिल को कोई नुकसान हो जाता है, तो वह कारावास से जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की होगी, उससे रंजन दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.