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IPC Section 118: मौत या उम्रकैद से दंडनीय अपराध करने की साजिश का छुपाना है धारा 118

भारतीय दंड संहिता की धारा 118 (Section 118) आपराधिक साजिश को छुपाना परिभाषित करती है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 118 इस बारे में क्या कहती है?

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 अपराध करने की साजिश को छुपाना बताती है ये धारा
अपराध करने की साजिश को छुपाना बताती है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अपराध करने की साजिश को छुपाना बताती है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • अपराध और उनकी सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: जब कोई ऐसा अपराध किया जाना हो, जिसके लिए मौत या आजीवन कारावस की सजा का प्रावधान है और उसकी साजिश रची जा चुकी हो. तो ऐसे में जानबूझकर उस साजिश को छुपाना ताकि वो अपराध कारित हो सके, अपराध की श्रेणी में ही आता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 118 (Section 118) ऐसी ही साजिश को छुपाना परिभाषित करती है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 118 इस बारे में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 118 (Indian Penal Code Section 118)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 118 (Section 118) में मौत या आजीवन कारावास (Death or life imprisonment) से दंडनीय अपराध (Punishable offence) करने की साजिश (Conspiracy) को छुपाए जाने के अपराध (offence) को विस्तार से बताया गया है. IPC की धारा 118 के मुताबिक, जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास (Death or life imprisonment) से दंडनीय अपराध का किया जाना सुकर (Easy) बनाने के आशय (Meaning) से या संभाव्यतः तद्द्वारा सुकर बनाएगा और यह जानते हुए कि ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व (Existence of the hypothesis) को किसी, कार्य या अवैध लोप (Act or illegal omission) द्वारा स्वेच्छया (voluntarily) छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन (Representation) करेगा, जिसका मिथ्या (false) होना वह जानता है.

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सजा का प्रावधान
यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, अथवा यदि अपराध न किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और दोनों दशाओं में से हर एक में जुर्माने से भी दंडनीय होगा.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 117: जनता या दस से अधिक व्यक्तियों के दुष्प्रेरण से जुड़ी है IPC की धारा 117 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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