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IPC Section 119: लोक सेवक का किसी अपराध करने की साजिश को छिपाना बताती है ये धारा

वह अफसर जो खुद अपराध को किए जाने की साजिश को छिपा रहा होता है. आईपीसी की धारा 119 (Section 119) ऐसे ही लोक सेवक के बारे में प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 119 इस बारे में क्या कहती है?

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पब्लिक सर्वेंट का अपराध छुपाना बताती है ये धारा
पब्लिक सर्वेंट का अपराध छुपाना बताती है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पब्लिक सर्वेंट का अपराध छुपाना बताती है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • अपराध और उनकी सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) में ऐसे लोक सेवक के बारे में भी प्रावधान किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी अपराध को रोकना है लेकिन वह खुद उस अपराध को किए जाने की साजिश को छिपा रहा होता है. आईपीसी की धारा 119 (Section 119) ऐसे ही लोक सेवक के बारे में प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 119 इस बारे में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 119 (Indian Penal Code Section 119)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 119 (Section 119) में ऐसे अधिकारी (Officer) के बारे में बताया गया है, जिसकी जिम्मेदारी अपराध (Offence) को रोकना है लेकिन वह खुद अपराध करने की साजिश (Conspiracy) को छुपाता है. आईपीसी की धारा 119 के अनुसार, किसी ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना (hypothesis) का लोक सेवक (Public Servant) द्वारा छिपाया जाना, जिसका निवारण (Redressal) करना उसका कर्तव्य (Duty) है और वह उस अपराध को सुकर बनाने के आशय (intent to facilitate) से या सम्भाव्यतः तद्वारा सुकर (Easy) बनाएगा. 

यह जानते हुए भी कि ऐसे अपराध के किए जाने की परिकल्पना के अस्तित्व को किसी कार्य या अवैध लोप (illegal omission) द्वारा या इमक्रिप्शन या उपकरण (Encryption or tools) छिपाने की किसी अन्य सूचना के प्रयोग (use of information) द्वारा स्वेच्छया छिपाएगा या ऐसी परिकल्पना के बारे में ऐसा व्यपदेशन (Representation) करेगा जिसका मिथ्या (False) होना वह जानता है.

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सजा का प्रावधान
यदि ऐसा अपराध कर दिया जाए, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि से आधी तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों दंडनीय होगा. यदि अपराध मृत्यु, आदि से दण्डनीय है अथवा यदि वह अपराध मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय हो; तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा.

यदि वह अपराध नहीं किया जाए, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि ऐसे कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या दोनों से दण्डित किया जाएगा.

मिसाल--- मान लीजिए कि एक पुलिस अधिकारी को लूट किए जाने से सम्बन्धित साजिश की जानकारी है, इस संबंध में इत्तिला देने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए और यह जानते हुए कि एक अपराधी लूट करने की साजिश रच रहा है, वह पुलिस अफसर अपराध जाने को आसान बनाने के मकसद से ऐसी इत्तिला छुपा लेता है मतलब यह कि उस पुलिस अफसर ने अपराधी की साजिश के अस्तित्व को अवैध रूप से छिपाया है, तो वह पुलिस अफसर इस धारा के अधीन आने वाले उपबन्ध के अनुसार सजा का हकदार है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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