Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 128 और 129 में युद्धबंदियों को भागने में मदद करने वाले लोक सेवकों और उनके अपराध के बारे में जानकारी दी गई है. लेकिन आईपीसी की धारा 130 में ऐसे व्यक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है, जो युद्धकैदी को छुड़ाने, बचाने या पनाह देने में सहायता करता है. आइए जानते हैं कि IPC की धारा 130 इसके बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 130 (Indian Penal Code Section 130)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 130 (Section 130) में युद्धकैदी को छुड़ाने, बचाने या पनाह देने में सहायता करने के बारे में कानूनी प्रावधान किया गया है. IPC की धारा 130 के अनुसार, जो कोई जानते हुए किसी राजकैदी (State prisoner) या युद्धकैदी (Prisoner of war) को विधिपूर्ण अभिरक्षा (Lawful custody) से निकल भागने में मदद या सहायता (Aids or assists) देगा, या किसी ऐसे कैदी को छुडाएगा, या छुडाने का प्रयत्न करेगा, या किसी ऐसे कैदी को, जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा है, संश्रय देगा या छिपाएगा (will shelter or hide) या ऐसे कैदी के फिर से पकडे जाने का प्रतिरोध (Resistance) करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, तो वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान
ऐसा करने वाला व्यक्ति को दोषी (Guilty) पाए जाने पर आजीवन कारावास (Life imprisonment) या किसी ऐसे कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा, जो दस वर्ष तक की अवधि का हो सकता है. साथ ही दोषी जुर्माने (Fine) से भी दंडनीय होगा. ज़रूरत पड़ने पर उसे दोनों प्रकार से दंडित किया जा सकता है. यह एक गैर जमानती (Non bailable), संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) है. ऐसे मामलों की सुनवाई सेशन न्ययालय (Sessions court) में ही होती है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.