Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 128 से 130 तक युद्धबंदियों और उनकी मदद करने वाले लोक सेवकों के बारे में जानकारी दी गई है. लेकिन आईपीसी की धारा 131 में ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जो भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को विद्रोह के लिए बहकाता है. आइए जानते हैं कि IPC की धारा 131 इसे कैसे परिभाषित करती है?
आईपीसी की धारा 131 (Indian Penal Code Section 131)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 131 (Section 131) में भारत की किसी भी सेना के अफसर-जवान को बहकाने (Seduce) वाले आरोपी के बारे में कानूनी प्रावधान (Legal provision) किया गया है. IPC की धारा 131 के अनुसार, जो कोई भारत सरकार की सेना (Army), नौसेना (Navy) या वायुसेना (Air Force) के किसी अफसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किए जाने का दुष्प्रेरण (Abetment to revolt) करेगा, या किसी ऐसे आफिसर, सैनिक या नौसैनिक या वायुसैनिक को उसकी राजनिष्ठा (Allegiance) या उसके कर्तव्य से विचलित (Deviated from duty) करने का प्रयत्न करेगा, वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे मामले में दोषी (Guilty) पाए जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास (Life imprisonment) से दंडित किया जाएगा. जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकती है. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित (Punished) किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 130: युद्धकैदी को छुड़ाने, बचाने या पनाह देने पर लागू होती है ये धारा
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.