Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं में सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों और कर्मचारियों को लेकर कानूनी प्रावधान दर्ज किए गए हैं. ऐसे ही आईपीसी की धारा 134 में उस हमले के बारे में बताया गया है, जो किसी के उकसाने पर अंजाम दिया जाता है और वह अपराध की श्रेणी में आता है. आइए जानते हैं कि IPC की धारा 134 इस बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 134 (Indian Penal Code Section 134)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 134 (Section 134) हमले का दुष्प्रेरण (Abetment of such assault) बताती है, जिसके परिणामस्वरूप हमला किया (Assault is committed) जाए. IPC की धारा 134 के अनुसार, जो कोई भारत सरकार की सेना (Army), नौसेना (Navy) या वायुसेना (Air Force) के अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा किसी वरिष्ठ अधिकारी (Senior Officer) पर, जब कि वह अधिकारी अपने पद-निष्पादन (Performance) में हो, हमले का दुष्प्रेरण करेगा जिसके परिणामस्वरूप हमला किया जाए, तो ऐसा करने वाला अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे हमले के लिए उकसाने वाला शख्स दोषी पाए जाने पर सजा का हकदार (Deserving of punishment) होगा. उसे एक अवधि के लिए कारावास की सजा (Sentence of imprisonment) होगी, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) भी लगाया जाएगा. यह एक गैर-जमानती (Non-bailable) और संज्ञेय अपराध (Cognizable offenses) है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं (Not negotiable) है. ऐसे मामलों प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (First class magistrate) द्वारा विचारणीय (Considerable) होते हैं.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.