Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) के इस अध्याय की धाराओं में भारत की सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों और कर्मचारियों के संबंध में किए गए कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी मिलती है. इसी कड़ी में आईपीसी की धारा 138 में सैनिक, नाविक या वायुसैनिक के नाफ़र्मानी के काम का दुष्प्रेरण परिभाषित किया गया है. चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 138 के इस विषय में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 138 (Indian Penal Code Section 138)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 138 (Section 138) में सैनिक, नाविक या वायुसैनिक के नाफ़र्मानी के काम (Acts of disobedience) के लिए बहकाना बताया गया है. IPC की धारा 138 के अनुसार, जो कोई ऐसी बात का दुष्प्रेरण करेगा जिसे कि वह भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना (Army, Navy or Air Force of the Government of India) के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक (officer, soldier, sailor or airman) द्वारा अनधीनता का कार्य (act of subjugation) जानता हो, यदि अनधीनता का ऐसा कार्य उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप (as a result of abetment) किया जाए, तो ऐसा करने वाला अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को किसी प्रकार के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) लगाया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.