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IPC Section 142: गैरकानूनी सभा में शामिल होने पर इस धारा के तहत माना जाएगा दोषी

आईपीसी की धारा 142 के तहत ऐसे लोग जो गैर कानूनी (Unlawful) तौर पर किसी स्थान पर जमा होंगे, वे दोषी माने जाएंगे. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 142 इस बारे में क्या कहती है?

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विधि विरुद्ध जमाव में शामिल लोगों से जुड़ी है ये धारा
विधि विरुद्ध जमाव में शामिल लोगों से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विधि विरुद्ध जमाव में शामिल लोगों से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं में कई प्रकार के अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) को लेकर प्रावधान (Provisions) किए गए हैं. इसी तरह से आईपीसी की धारा 142 के तहत ऐसे लोग जो गैर कानूनी (Unlawful) तौर पर किसी स्थान पर जमा होंगे, वे दोषी माने जाएंगे. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 142 इस बारे में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 142 (Indian Penal Code Section 142) 

भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 142 (Section 142) में ऐसे लोगों को लेकर प्रावधान (Provision) किया गया है, जो गैर कानूनी तरीके से किसी स्थान पर एक साथ जमा होंगे. IPC की धारा 142 के मुताबिक, जो कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध (Unlawful) जमाव में जानबूझकर शामिल होगा, यह जानते हुए भी कि वो जमाव गैर कानूनी है, तो वह इस अपराध (Offence) के लिए दोषी (Guilty) माना जाएगा. 

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 141: गैरकानूनी रूप से कहीं जमा होना है जुर्म, लागू होती है आईपीसी की धारा 141 

क्या होती है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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