Indian Penal Code: भारत सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में उपद्रव की घटनाएं सामने आ रही हैं. उपद्रवी आगजनी और हिंसा की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इस बीच कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें कुछ लोग नौजवानों को दंगा करने के लिए उकसा रहे हैं. आईपीसी की धारा 153 में दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. चलिए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 153 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 153 (Indian Penal Code Section 153)
भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 8 की धारा 153 (Section 153) में केवल दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने की प्रक्रिया पर प्रावधान बताया गया है. IPC की धारा 153 के मुताबिक, जो भी कोई अवैध बात करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध हो सकता है;
यदि उपद्रव होता है - यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
यदि उपद्रव नहीं होता है - यदि उपद्रव का अपराध नहीं होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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