Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में बलवा, दंगा, उपद्रव (Riot) गैरकानूनी भीड़ (illegal mob) और गैरकानूनी जमाव (Unlawful gathering), से जुड़े मामलों के लिए भी कानूनी प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 158 में गैरकानूनी सभा या बलवे में भाड़ा लेकर जाने वाले व्यक्तियों के लिए प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 158 इस बारे में क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 158 (Indian Penal Code Section 158)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 158 (Section 158) में उन लोगों के बारे में बताया गया है, जो पैसा लेकर गैरकानूनी सभा या बलवे (Unlawful assembly or rebellion) में जानबूझकर (Intentionally) शामिल होते हैं. IPC की धारा 158 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति पैसों के लालच (Greed for money) में या किसी संपत्ति के लालच (Greed for property) में किसी विधिविरुद्ध जमाव या बलवे में शामिल होता है, शामिल होने के लिए वचन (Promise) देता है या कोई संविदा (Contract) करता है, तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 158 के अंतर्गत दोषी (Guilty) माना जाएगा.
हालांकि अगर कोई बिना बताए (without telling) किसी व्यक्ति को कहीं विधिविरुद्ध जमाव या बलवे (Unlawful assembly or rebellion) में शामिल होने के लिए भाड़े पर ले जाता है, तब भाड़े पर जाने वाला वह व्यक्ति बलवे के अपराध (Crimes of rebellion) के लिए दोषी (Guilty) नहीं माना जाएगा.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 157: गैरकानूनी सभा के लिए भाड़े पर लाए गए व्यक्तियों से जुड़ी है ये धारा
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
इस अपराध की सजा (Punishment for crime) को दो भागों में बांटा गया है. (क) बिना अस्त्र-शस्त्र (Without weapons) लेकर विधिविरुद्ध जमाव या बलवे (Unlawful assembly or rebellion) में जाने पर 6 माह के कारावास या जुर्माने (Imprisonment or fine) का प्रावधान है. या फिर दोषी को दोनों तरह से दंडित किया जा सकता है. (ख) किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र लेकर (Carrying weapons) बलवे में शामिल होने पर दो वर्ष के कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा. या फिर दोनों ही प्रकार से सजा दी जा सकती है. यह एक संज्ञेय (Cognizable) व जमानती अपराध (Bailable offense) है. जिसकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) को होता है. यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.