Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं में कई तरह अपराध परिभाषित (Define) किए गए हैं और साथ ही उनकी सजा का प्रावधान (Provision of punishment) भी किया गया है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 166बी में पीड़ित और अस्पताल के बारे में इलाज को लेकर अहम काननूी प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 166बी में किस तरह की जानकारी दी गई है?
आईपीसी की धारा 166बी (Indian Penal Code Section 166B)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 166बी (Section 166B) में अस्पताल और पीड़ित के इलाज (Treatment of the victim) को लेकर जानकारी मिलती है. IPC की धारा 166बी के मुताबिक, जो कोई अस्पताल, सार्वजनिक या व्यक्तिगत, चाहे केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा संचालित हो, का भारसाधक होते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (1974 का 2) की धारा 357ग के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, वह अपराधी माना जाएगा और सजा का हकदार होगा. आसान भाषा में कहें तो अगर उपरोक्त संबंधित व्यक्ति ने पीड़ित का इलाज नहीं किया या कराया तो वह कानून की नजर में अपराधी होगा.
सजा का प्रावधान (Punishment Provision)
ऐसा करने वाले दोषी को न्यूनतम् 6 मास के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि अधिकतम दो वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर आर्थिक जुर्माना (Monetary penalty) भी किया जाएगा. यह एक संज्ञेय (Cognizable) और जमानती अपराध (Bailable offense) है. जिसकी सुनवाई का अधिकार किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) को होता है. यह अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.