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IPC Section 171F: चुनाव पर डाला अनुचित प्रभाव या किया फर्जी मतदान तो इस धारा के तहत मिलेगी सजा

आईपीसी की धारा 171F (IPC Section 171F) में निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड यानी चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने या किसी और के नाम पर मतदान करने पर सजा का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171F इस संबंध में क्या कहती है?

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चुनाव को प्रभावित करने की सजा से जुड़ी है ये धारा
चुनाव को प्रभावित करने की सजा से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनाव को प्रभावित करने की सजा से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में चुनाव (Election) और मतदान (Voting) से संबंधित कई तरह अपराधों को लेकर प्रावधान (Provision) मिलते हैं. साथ ही उनकी सजा भी परिभाषित की गई है. ऐसे ही आईपीसी की धारा 171F (IPC Section 171F) में निर्वाचनों में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण के लिए दण्ड यानी चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने या किसी और के नाम पर मतदान करने पर सजा का प्रावधान किया गया है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 171F इस संबंध में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 171F (Indian Penal Code Section 171F) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 171F (Section 171F) में चुनाव (Election) में अनुचित प्रभाव (undue influence) डालने या किसी और के नाम पर फर्जी मतदान करने वाले के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. IPC की धारा 171F के मुताबिक, जो कोई किसी निर्वाचन में असम्यक् असर डालने या प्रतिरूपण (Undue influence or personation) का अपराध (Offence) करेगा, वह अपराधी (offender) माना जाएगा. ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या उसे दोनों ही तरह से दंडित (Punished) किया जाएगा. यह एक जमानती (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (First Class Magistrate) द्वारा विचारणीय है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

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इसे भी पढ़ें--- IPC Section 171E: रिश्वत के मामलों में सजा का प्रावधान करती है आईपीसी की धारा 171E 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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