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IPC Section 174: अफसर का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहने पर लागू होती है ये धारा

आईपीसी की धारा 174 (IPC Section 174) में लोक सेवक के आदेश के बावजूद पेशी में चूक करना परिभाषित (Define) किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 174 इस मामले में क्या जानकारी देती है?

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लोक सेवक के आदेश का पालन ना करने से जुड़ी है ये धारा
लोक सेवक के आदेश का पालन ना करने से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोक सेवक के आदेश का पालन ना करने से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कई प्रकार के अपराध (Offence) परिभाषित किए गए हैं. इसमें ऐसे अपराध भी शामिल हैं, जो लोक सेवकों से संबंधित हैं. ऐसे मामलों को लेकर भी आईपीसी में कानूनी प्रावधान (Legal provision) किए गए हैं. इसी प्रकार से आईपीसी की धारा 174 (IPC Section 174) में लोक सेवक के आदेश के बावजूद पेशी में चूक करना परिभाषित (Define) किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 174 इस मामले में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 174 (Indian Penal Code Section 174) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 174 (Section 174) में लोक सेवक के आदेश के पालन में गैर हाजिर होने पर प्रक्रिया बताई गई है. IPC की धारा 174 के अनुसार, जो कोई किसी लोक सेवक (Public Servant) द्वारा निकाले गए उस समन, सूचना, आदेश या उद्घोषणा (Summons, notice, order or proclamation) के पालन में, जिसे ऐसे लोक सेवक के नाते निकालने के लिए वह वैध रूप से सक्षम (Legally capable) हो, किसी निश्चित स्थान और समय पर स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए, उस स्थान या समय पर हाजिर होने का साशय लोप करेगा, या उस स्थान से, जहां हाजिर होने के लिए वह आबद्ध है, उस समय से पूर्व चला जाएगा, जिस समय चला जाना उसके लिए विधिपूर्ण होता, तो वह अपराधी माना जाएगा. आसान भाषा में कहें तो किसी भी लोक सेवक या न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश या सूचना का पालन नहीं करने पर धारा 174 लागू होती है.

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सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले को दोषी होने पर एक मास के लिए सादा कारावास (Simple imprisonment) या पांच सौ रुपये का जुर्माना (Fine) या दोनों से दंडित किया जाएगा. अगर आदेश न्यायालय (Court) में वैयक्तिक हाजिरी (Personal attendance) आदि अपेक्षित करता है तो ऐसा होने पर छह मास के लिए साधारण कारावास या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों तरह से सजा दी जाएगी. यह एक जमानती (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offense) है. जो किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा विचारणीय (Triable) है. यह अपराध समझौते योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 173: समन की तामील या अन्य कार्यवाही को रोकने पर लागू होती है ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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