scorecardresearch
 

IPC Section 181: शपथ या प्रतिज्ञान के तौर पर दिया झूठा बयान तो लागू होगी ये धारा

आईपीसी की धारा 181 (IPC Section 181) में शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान कराने के लिए प्राधिकृत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान पर झूठा बयान देने पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को बताया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 181 इस विषय पर क्या बताती है?

Advertisement
X
शपथ या प्रतिज्ञान पर मिथ्या कथन से जुड़ी है ये धारा
शपथ या प्रतिज्ञान पर मिथ्या कथन से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शपथ या प्रतिज्ञान पर मिथ्या कथन से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में जुर्म (Offence) और उसकी सजा को परिभाषित (Define) किया गया है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 181 (IPC Section 181) में शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान कराने के लिए प्राधिकृत लोक सेवक के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान पर झूठा बयान देने पर अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को बताया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 181 इस विषय पर क्या बताती है?

Advertisement

आईपीसी की धारा 181 (Indian Penal Code Section 181) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 181 (Section 181) में शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान कराने (to swear or affirm) के लिए प्राधिकृत लोक सेवक (Authorized public servant) के, या व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान पर झूठा बयान (False statement) देना परिभाषित (Define) किया गया है. IPC की धारा 181 के अनुसार, जो कोई किसी लोक-सेवक या किसी अन्य व्यक्ति से, जो ऐसे शपथ दिलाने या प्रतिज्ञान देने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत (Authorized by law) हो, किसी विषय पर सत्य कथन (True statement) करने के लिये शपथ या प्रतिज्ञान द्वारा वैध रूप से आबद्ध होते हुए ऐसे लोक-सेवक या यथापूर्वोक्त अन्य व्यक्ति से उस विषय के सम्बन्ध में कोई ऐसा कथन करेगा, जो मिथ्या (False) है, और जिसके मिथ्या होने का या तो उसे ज्ञान है या विश्वास है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, तो वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.

Advertisement

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (First class magistrate) द्वारा की जाती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 180: बयान पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार तो लागू होती है ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement