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IPC Section 182: किसी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से दी झूठी सूचना, तो लागू होगी ये धारा

आईपीसी की धारा 182 (IPC Section 182) में बताया गया है कि इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना कि लोक-सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति करने के लिए करे. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 182 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने से जुड़ी है ये धारा
शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता अपराध और उसकी सजा को परिभाषित करती है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 182 (IPC Section 182) में बताया गया है कि इस आशय से मिथ्या इत्तिला देना कि लोक-सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति करने के लिए करे. चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 182 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 182 (Indian Penal Code Section 182) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 182 (Section 182) में लोक सेवक को किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने के लिए अपनी वैध शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रेरित करने के इरादे से झूठी सूचना देना बताया गया है. IPC की धारा 182 के मुताबिक, जो कोई किसी लोक सेवक को कोई ऐसी इत्तिला, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, इस आशय से देगा कि वह उस लोक सेवक को प्रेरित करे या यह सम्भाव्य जानते हुए देगा कि वह उसको तद्द्वारा प्रेरित करेगा कि वह लोक सेवक-

(क) कोई ऐसी बात करे या करने का लोप करे जिसे वह लोक-सेवक, यदि उसे उस सम्बन्ध में, जिसके बारे में ऐसी इत्तिला दी गई है, तथ्यों की सही स्थिति का पता होता तो न करता या करने का लोप न करता; अथवा

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(ख) ऐसे लोक-सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग करे जिस उपयोग से किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ हो, तो ऐसा करने वाला अपराधी माना जाएगा.

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी. या उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा, जो एक हजार रुपये तक होगा. या फिर उसे दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जाती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 181: शपथ या प्रतिज्ञान के तौर पर दिया झूठा बयान तो लागू होगी ये धारा 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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