Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में लोक सेवकों (Public servants) के साथ किए जाने वाले अपराध (Crime) और उसकी सजा (Punishment) को परिभाषित करती है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 186 (IPC Section 186) में लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना परिभाषित (Define) किया गया है. आइए जान लेते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 186 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 186 (Indian Penal Code Section 186)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 186 (Section 186) में लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालने वाले को लेकर प्रावधान किया गया है. IPC की धारा 185 के अनुसार, जो कोई किसी लोक सेवक (Public Servant) के लोक कृत्यों के निर्वहन (Discharge of public functions) में स्वेच्छया बाधा (Interruption) डालेगा, वह अपराधी माना जाएगा.
लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन का मतलब है कि जो कोई किसी प्रकार के सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत जन कल्याण (Public welfare) के कार्यों में संलिप्त हो, इसको ही लोक कृत्यों का निर्वहन कहा जाता है. अब अगर इसमें कोई बाधा डाले या रुकावट (Hinder) पैदा करे तो ये एक अपराध है. यह धारा स्पष्ट करती है कि जो कोई किसी लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में अपनी मर्जी से बाधा डालेगा, उसे इस जुर्म के लिए दंड दिया जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि एक माह तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर 500 रुपये तक का जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.