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IPC Section 188: महामारी एक्ट का उल्लंघन करने पर लगती है आईपीसी की धारा 188

आईपीसी धारा 188 में लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा से संबंधी प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 188 क्या प्रावधान करती है? 

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महामारी एक्ट से जुड़ी है IPC की धारा 188
महामारी एक्ट से जुड़ी है IPC की धारा 188
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लॉक डाउन के दौरान खूब दर्ज हुए थे धारा 188 के मामले
  • महामारी एक्ट से जुड़ी है IPC की धारा 188
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कई ऐसी धाराएं भी शामिल हैं, जिनकी परिभाषा और प्रावधान आमतौर पर अपराध की तरह नहीं देखे जाते हैं. लेकिन आईपीसी में उन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार से आईपीसी धारा 188 में लोक सेवक द्वारा विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा से संबंधी प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि आईपीसी की धारा 188 क्या प्रावधान करती है? 

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आईपीसी की धारा 188 (Indian Penal Code Section 188) 
आपको याद होगा कि सरकार ने कोरोना महामारी (Corona Epidemic) से लड़ने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा की थी. यह घोषणा महामारी एक्ट यानी Epidemic Diseases Act, 1897 के तहत की गई थी. दरअसल, भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 (Section 188) के अनुसार, अगर कोई शख्स लॉक डाउन या उसके दौरान सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है.

महामारी एक्ट के सेक्शन 3 के अनुसार अगर कोई इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या सरकारी निर्देशों व नियमों को तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है. किसी सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर भी यह धारा लगाई जा सकती है. इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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