Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में लोक सेवकों (Public servants) से संबंधित कानूनी प्रावधानों (Legal provisions) को कई धाराओं में के तहत परिभाषित (Define) किया गया है. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 189 (IPC Section 189) में किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को नुकसान पहुंचाने की धमकी दिए जाने को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 189 इस संबंध में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 189 (Indian Penal Code Section 189)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 189 (Section 189) में किसी लोक-सेवक (Public servant) को क्षति करने की धमकी (Threat of injury) दिए जाने को लेकर प्रावधान (Provision) किया गया है. IPC की धारा 189 के अनुसार, जो कोई किसी लोक-सेवक को या ऐसे किसी व्यक्ति को, जिससे उस लोक-सेवक के हितबद्ध (interested) होने का उसे विश्वास (Confidence) हो, इस प्रयोजन (Purpose) से क्षति की कोई धमकी (Threat of damage) देगा कि उस लोक-सेवक को उत्प्रेरित (inspired) किया जाये कि वह ऐसे लोक-सेवक के कृत्यों के प्रयोग (Use of acts) से संसक्त कोई कार्य करे, या करने से प्रविरत (promoted) रहे, या करने में विलम्ब करे, तो वह अपराधी माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.