Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं में अपराध और सजा से संबंधित कानूनी प्रावधानों (Legal provisions) को परिभाषित (Define) किया गया है. ऐसे ही आईपीसी की धारा 191 (IPC Section 191) में झूठे साक्ष्य और बयान देना (Giving false evidence) परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 191 इसके बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 191 (Indian Penal Code Section 191)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 191 (Section 191) में मिथ्या साक्ष्य देना (Giving false evidence) बताया गया है. IPC की धारा 191 के अनुसार, जो कोई शपथ द्वारा या विधि के किसी अभिव्यक्त उपबन्ध द्वारा सत्य कथन (statement of truth by clause) करने के लिये वैध रूप से आबद्ध (Legally bound) होते हुये, या किसी विषय पर घोषणा (Announcement on a subject) करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध (Bound by law) होते हुये, ऐसा कोई कथन करेगा, जो मिथ्या है, और या तो, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान है या विश्वास है, या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह मिथ्या साक्ष्य देता है, यह कहा जाता है.
स्पष्टीकरण-
1-कोई कथन चाहे वह मौखिक हो, या अन्यथा किया गया हो, इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत आता है.
2- अनुप्रमाणित करने वाले व्यक्ति के अपने विश्वास के बारे में मिथ्या कथन इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत आता है और कोई व्यक्ति यह कहने से कि उसे उस बात का विश्वास है, जिस बात का उसे विश्वास नहीं है तथा यह कहने से कि वह उस बात को जानता है जिस बात को वह नहीं जानता, मिथ्या साक्ष्य देने का दोषी हो सकेगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.