Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में जांच (Investigations), सबूत (Evidence) और बयानों (Statements) को लेकर भी कानूनी प्रावधान (Legal provisions) किए गए हैं. इसी तरह से आईपीसी की धारा 192 (IPC Section 192) में मिथ्या साक्ष्य गढ़ने (Fabricating false evidence) को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 192 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 192 (Indian Penal Code Section 192)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 192 (Section 192) में झूठे सबूत बनाने (Fabricating false evidence) को लेकर प्रावधान दर्ज किया गया है. IPC की धारा 192 के अनुसार, जो कोई इस आशय से किसी परिस्थिति को अस्तित्व में लाता है, या किसी पुस्तक या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख (Book or record or electronic record) में कोई मिथ्या प्रविष्ट करता है, या मिथ्या प्रविष्ट करता है, या मिथ्या कथन अंतर्विष्ट रखने वाला कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख रचता है कि ऐसी परिस्थिति (Situation), मिथ्या प्रविष्ट या मिथ्या कथन (False entry or false statement) न्यायिक कार्यवाही में, या ऐसी किसी कार्यवाही में, जो लोक-सेवक के समक्ष (Before public servant) उसके उस नाते या मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की जाती है, साक्ष्य में दर्शित हो और इस प्रकार साक्ष्य में दर्शित होने पर ऐसी परिस्थिति, मिथ्या प्रविष्ट या मिथ्या कथन के कारण कोई व्यक्ति, जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्ष्य के आधार (Evidence base) पर राय कायम करनी है, ऐसी कार्यवाही के परिणाम के लिए तात्विक किसी बात के संबंध में गलत राय बनाए, तो वह मिथ्या साक्ष्य गढ़ता है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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