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IPC Section 197: फेक सर्टिफिकेट जारी किया तो इस धारा के तहत मिलेगी सजा

आईपीसी की धारा 197 (IPC Section 197) में जाली प्रमाण-पत्र जारी करने या उस पर साइन करने को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 197 इस बारे में क्या बताती है?

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जाली प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित है ये धारा
जाली प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जाली प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • जुर्म और सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में कोर्ट (Court) की कार्यवाही से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provisions) मौजूद हैं. जिनमें सबूतों (Evidence) और जांच (Investigations) के बारे में भी बताया गया है. इसी तरह से आईपीसी की धारा 197 (IPC Section 197) में जाली प्रमाण-पत्र जारी करने या उस पर साइन करने को लेकर प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 197 इस बारे में क्या बताती है? 
 
आईपीसी की धारा 197 (Indian Penal Code Section 197) 
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 197 (Section 197) में झूठे सबूतों की तरह ही जाली प्रमाण पत्र जारी करना या उसे साइन करना एक अपराध बताया गया है. IPC की धारा 197 के अनुसार, जो कोई ऐसा प्रमाण-पत्र (Certificate), जिसका दिया जाना या हस्ताक्षरित (Signed) किया जाना विधि द्वारा अपेक्षित हो, या जो किसी ऐसे तथ्य से सम्बन्धित हो जिसका वैसा प्रमाण-पत्र विधि द्वारा साक्ष्य में ग्राह्य हो (Be admissible in evidence), यह जानते हुए या विश्वास करते हुए कि वह किसी तात्विक बात के बारे में मिथ्या है, वैसा प्रमाण-पत्र जारी (Issuing) करेगा या हस्ताक्षरित (signing) करेगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य (False evidence) दिया हो.

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सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास (Imprisonment) से दंडित किया जाएगा. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई उसी न्यायालय (Court) द्वारा की जा सकती है. जहां झूठे सबूत (False evidence) पेश किए गए हों. 

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 196: पता होने के बावजूद झूठे सबूत का इस्तेमाल करने पर लगती है ये धारा
 
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
 
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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