Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अदालती कार्यवाही (Court proceedings) से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provisions) मौजूद हैं. जिनमें सबूतों (Evidence) और जांच (Investigations) के बारे में भी जानकारी मिलती है. इसी तरह से आईपीसी की धारा 198 (IPC Section 198) में जान बूझकर असली के स्थान पर जाली प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल करने पर सजा का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 198 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 198 (Indian Penal Code Section 198)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 198 (Section 198) में बताया गया है कि जिस प्रमाण पत्र (certificate) के बारे में यह जानकारी है कि वह फेक है, फिर भी जान बूझकर असली की जगह उसका इस्तेमाल करना दंडनीय अपराध (Punishable offence) है. IPC की धारा 198 के अनुसार, जो कोई किसी ऐसे प्रमाण पत्र को यह जानते हुये कि वह किसी तात्विक बात के सम्बन्ध (relation to matter) में मिथ्या है, सच्चे प्रमाण-पत्र के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग (corrupt use) में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह ऐसे दण्डित (punished) किया जायेगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य (false evidence) दिया हो.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास (Imprisonment) से दंडित किया जाएगा. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई उसी न्यायालय (Court) द्वारा की जा सकती है. जहां झूठे सबूत (False evidence) पेश किए गए हों.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 197: फेक सर्टिफिकेट जारी किया तो इस धारा के तहत मिलेगी सजा
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः