Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध और सजा (Crime and Punishment) के साथ अपराधी के बारे में भी कई तरह के प्रावधान मौजूद हैं. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 203 (IPC Section 203) के अधीन किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 203 इस विषय में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 203 (Indian Penal Code Section 203)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 203 (Section 203) में ऐसे व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जो किये गये अपराध के बारे में झूठी इत्तिला देगा. IPC की धारा 203 के मुताबिक, जो कोई यह जानते हुए, या यह विश्वास करने का कारण (Reason to believe) रखते हुए कि कोई अपराध (Offence) किया गया है, उस अपराध के बारे में कोई ऐसी इत्तिला (Information) देगा, जिसके मिथ्या (False) होने का उसे ज्ञान या विश्वास हो, वह अपराधी (Offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई किसी भी वर्ग के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
स्पष्टीकरण- धारा 201 और 202 में और इस धारा में “अपराध” शब्द के अन्तर्गत भारत से बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो निम्नलिखित धारा, अर्थात् 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458, 459 तथा 460 में से किसी भी धारा के अधीन दण्डनीय होता.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 202: अपराध की सूचना देने में जान बूझकर चूक करने पर लगती है ये धारा
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.