भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC की धाराएं अपराध और दंड से जुड़े प्रावधानों के बारे में जानकारी देती हैं. साथ ही कुछ विशेष शब्दों को कानून की नजर से परिभाषित भी करती हैं. इसी श्रृंखला में हम बात करेंगे आईपीसी (IPC) की धारा 12 (Section 12) के बारे में. चलिए जानते हैं कि आखिर इस सेक्शन (Section) का क्या काम है और इसमें क्या प्रावधान (Provisions है.
क्या है आईपीसी (IPC) की धारा 12 (Section 12)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 12 यह बताती है कि जनता/सामान्य जन का कोई भी वर्ग या कोई भी समुदाय 'जनता/सामान्य जन' शब्द के अन्तर्गत आता है.
साधारण भाषा में अगर समझे तों आईपीसी में हमारे समाज की जनता का कोई भी वर्ग, समुदाय और आम जनता को 'जनता/सामान्य जन' शब्द से संबोधित किया जाता है.
इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 1: जानिए, क्या होती है सीआरपीसी की धारा 1
क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
1862 में लागू हुई थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.