हमारे देश में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 124ए को लेकर काफी चर्चा हो रही है. यहां तक कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस धारा के तहत फिलहाल कोई भी मामला दर्ज करने पर रोक लगा दी है. अब आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस धारा 124ए का भविष्य तय करेगी. दरअसल, आईपीसी (IPC) की धारा 124ए (Section 124A) का संबंध राजद्रोह (Sedition) से है. ये धारा इसके लिए प्रावधान बताती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 124ए इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 124ए (IPC Section 124A)
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 124ए (Section 124A) में राजद्रोह (Sedition) को परिभाषित (Define) किया गया है. साथ ही इस धारा के तहत दोषी पाए जाने वाले शख्स की सजा और जुर्माना (Punishment and fine) भी बताया गया है. IPC की धारा 124ए के मुताबिक, जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा. या दृश्यरूपण (Visualization) द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार (Government established by law) के प्रति घृणा या अवमान (Hatred or contempt) पैदा करेगा, या पैदा करने का प्रयत्न करेगा या अप्रीति प्रदीप्त (illuminated) करेगा, या प्रदीप्त करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास (Life imprisonment) से, जिसमें जुर्माना (Fine) जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माने से दंडित (Punished with fine) किया जाएगा.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.