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IPC Section 21: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 21, क्या है प्रावधान

आईपीसी की धारा 21 ऐसे शब्द को परिभाषित करती है, जिसकी सीधा संबंध शासन, प्रशासन, न्याय, रक्षा आदि से है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 21 (Section 21) क्या है? और इसमें क्या प्रावधान (Provision) मिलते हैं?

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IPC की धारा 21 एक अहम शब्द से संबंधित है
IPC की धारा 21 एक अहम शब्द से संबंधित है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोक सेवा से संबंधित है IPC की धारा 21
  • लोक सेवक को परिभाषित करती है धारा 21
  • 1862 में लागू की गई थी आईपीसी

Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता कानून व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण शब्दों (Important words) को परिभाषित (defined) करने का काम भी करती है. इसी श्रृंखला में आईपीसी की धारा 21 भी एक ऐसे शब्द को परिभाषित करती है, जिसकी सीधा संबंध शासन, प्रशासन, न्याय, रक्षा आदि से है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 21 (Section 21) क्या है? और इसमें क्या प्रावधान (Provision) मिलते हैं?

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आईपीसी की धारा 21 (IPC Section 21)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 21 यह बताती है कि लोक सेवक (Public Servant) शब्द ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो निम्नलिखित वर्णनों में से किसी के अधीन आता है- 

- जैसे भारत की सेना, नौसेना या वायुसेना का हर आयुक्त आफिसर.

- हर न्यायाधीश जिसके अन्तर्गत ऐसा कोई भी व्यक्ति आता है जो किन्हीं न्याय-निर्णायिक कृत्यों का चाहे स्वयं या व्यक्तियों के किसी निकाय के सदस्य के रूप में निर्वहन करने के लिए विधि द्वारा सशक्त किया गया हो. 

- न्यायालय का हर अधिकारी, जिसके अन्तर्गत समापक, रिसीवर या कमिश्नर आता है. 

- किसी न्यायालय या लोक सेवक की सहायता करने वाला हर जूरी सदस्य, असेसर या पंचायत का सदस्य.

- हर मध्यस्थ या व्यक्ति, जिसको किसी न्यायालय ने या किसी अन्य सक्षम लोक प्राधिकारी ने किसी मामले या विषय से संबंधित रिपोर्ट के लिए निर्देशित किया हो.

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- हर व्यक्ति जो किसी ऐसे पद को धारण करता हो, जिसके आधार से वह किसी व्यक्ति को परिरोध में करने या रखने के लिए सशक्त हो.

- सरकार का हर अधिकारी जिसका यह कर्त्तव्य हो कि वह अपराधों का निवारण कर अपराधों की इत्तिला दे, अपराधियों को न्याय के लिए उपस्थित करे या लोक के स्वास्थ्य, क्षेम या सुविधा की संरक्षा करे.

- हर ऐसा अधिकारी जिसका यह कर्त्तव्य हो कि वह सरकार की ओर से किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्यय करे, या सरकार की ओर से कोई सर्वेक्षण, निर्धारण या संविदा करे, या किसी राजस्व आदेशिका का निष्पादन करे या सरकार के धन-सम्बन्धी हितों पर प्रभाव डालने वाले किसी मामले में अन्वेषण या रिपोर्ट करे या सरकार के धन-सम्बन्धी हितों से सम्बन्धित किसी दस्तावेज को बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे, या सरकार के धन सम्बन्धी हितों की संरक्षा के लिए किसी विधि के व्यतिक्रम को रोके.

- हर अधिकारी जिसका यह कर्त्तव्य हो कि वह किसी ग्राम, नगर या जिले के किसी धर्म-निरपेक्ष सामान्य प्रयोजन के लिए किसी सम्पत्ति को ग्रहण करे, प्राप्त करे, रखे, या व्ययन करे, कोई सर्वेक्षण या निर्धारण करे, या कोई रेट या कर उद्गृहीत करे, या किसी ग्राम, नगर या जिले के लोगों के अधिकारों के अभिनिश्चयन के लिए कोई दस्तावेज बनाए, अधिप्रमाणीकृत करे या रखे.

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- हर व्यक्ति जो कोई ऐसा पद धारण करता हो जिसके आधार से वह निर्वाचक नामावली तैयार करने, प्रकाशित करने, बनाए रखने या पुनरीक्षित करने के लिए या निर्वाचन या निर्वाचन के किसी भाग को संचालित करने के लिए सशक्त हो.

- हर व्यक्ति, जो (क) सरकार की सेवा या वेतन में हो, या किसी लोक-कर्त्तव्य के पालन के लिए सरकार से फीस या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक पाता हो. (ख) स्थानीय प्राधिकारी की, अथवा केन्द्र, प्रान्त या राज्य के अधिनियम के द्वारा या अधीन स्थापित निगम की अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 617 में यथा परिभाषित सरकारी कम्पनी की, सेवा या वेतन में हो.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 20: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 20? 

ये होती है आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC

ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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