Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता हमारे देश की कानून व्यवस्था से जुड़े प्रावधानों की जानकारी तो देती ही है, साथ ही महत्वपूर्ण शब्दों (Important words) को परिभाषित (defined) भी करती है. आईपीसी की धारा 22 भी एक ऐसे अहम शब्द को समझाती है, जिसका संबंध संपत्ति से है. तो आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 22 (Section 22) क्या है? और ये क्या समझाती है?
आईपीसी की धारा 22 (IPC Section 22)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 22 (Section 22) का संबंध चल संपत्ति (Moveable property) से है. सेक्शन 22 के मुताबिक जंगम सम्पत्ति (Moveable property) शब्दों से यह आशयित (intended) है कि इनके अन्तर्गत हर भांति की मूर्त सम्पत्ति (tangible assets) आती है, किन्तु भूमि और वे चीजें, जो भू-बद्ध (Ground bound) हों या भू-बद्ध किसी चीज से स्थायी रूप से जकड़ी हुई हों, इनके अन्तर्गत नहीं आती.
क्या है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.