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IPC Section 32: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 32?

आईपीसी (IPC) की धारा 32 (Section 32) में अवैध लोपों (illegal omissions) को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 32 (Section 32) इसके विषय क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 32 अवैध लोपों पर बात करती है
आईपीसी की धारा 32 अवैध लोपों पर बात करती है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अवैध लोपों से संबंधित है IPC की धारा 32
  • 1862 में लागू की गई थी आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में अपराध (Crime), सजा (Punishment) और कानून (Law) से जुड़े प्रावधान (Provisions) के बारे में जानकारी मिलती है. आईपीसी (IPC) की धारा 32 (Section 32) में अवैध लोपों (illegal omissions) को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 32 (Section 32) क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 32 (IPC Section 32)
Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 32 (Section 32) के अनुसार कार्यों का निर्देश (instruction of tasks) करने वाले शब्दों (Words) के अन्तर्गत अवैध लोप (illegal omissions) आता है.  

जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल आशय प्रतीत न हो (Unless the context implies the contrary), इस संहिता (Code) के हर भाग (Part) में किए गए कार्यों को दर्शाने (show tasks) वाले शब्दों (Words) का विस्तार (Extend) अवैध लोपों (illegal omissions) पर भी है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 31: जानें, क्या होती है आईपीसी की धारा 31? 

क्या होती है आईपीसी (IPC)?

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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किसने लागू की थी IPC?

ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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