Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता में जुर्म (Crime) और उनके दंड (Punishment) की व्याख्या तो मिलती ही है, साथ ही इससे जुड़े प्रावधान (Provisions) भी इसमें मौजूद हैं. आईपीसी (IPC) की धारा 33 (Section 33) में 'कार्य/लोपों' को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 33 (Section 33) इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 33 (IPC Section 33)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 33 (Section 33) हमें कार्य/लोप के बारे में बताती है. सेक्शन 33 के मुताबिक 'कार्य' (Act) शब्द कार्यावली (a series of acts) का द्योतक (Denotes) उसी प्रकार है, जिस प्रकार एक कार्य का. 'लोप' (Omission) शब्द लोपावली (series of omissions) की द्योतक (Denotes) उसी प्रकार है, जिस प्रकार एक लोप का.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.