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IPC Section 35: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 35?

आईपीसी (IPC) की धारा 35 (Section 35) में आपराधिक ज्ञान (Criminal knowledge) या आशय (intention) को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 35 (Section 35) इस बारे में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 35 जानकारी और मकसद से जुड़ी है
आईपीसी की धारा 35 जानकारी और मकसद से जुड़ी है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जानकारी और मकसद से जुड़ी है IPC की धारा 35
  • 1862 में लागू की थी आईपीसी

Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता में जुर्म (Crime) और उनके दंड (Punishment) की व्याख्या तो मिलती ही है, साथ ही इससे जुड़े प्रावधान (Provisions) भी इसमें मौजूद हैं. आईपीसी (IPC) की धारा 35 (Section 35) में आपराधिक ज्ञान (Criminal knowledge) या आशय (intention) को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 35 (Section 35) इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 35 (IPC Section 35)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 35 (Section 35) आपराधिक ज्ञान (Criminal knowledge) या आशय (intention) से संबंधित है. IPC की धारा 35 के अनुसार ऐसा कार्य (Such an act) इस कारण आपराधिक (Criminal) है कि वह आपराधिक ज्ञान (Criminal knowledge) या आशय (Reason) से किया गया है.

आसन भाषा में कहें तो जब कभी कोई कार्य, जो आपराधिक ज्ञान (Criminal knowledge) या आशय (intention) से किए जाने के कारण ही आपराधिक है, कई व्यक्तियों (Several persons) द्वारा किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति (Every person), जो ऐसे ज्ञान (knowledge) या आशय से उस कार्य (Act) में सम्मिलित (Inclusive) होता है, उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन (subject to liability) है, मानो वह कार्य उस ज्ञान या आशय से अकेले उसी शख्स द्वारा किया गया हो.

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ऐसे समझे कि एक शख्स ने अपराध (Offense) करने के मकसद (intention) से ही उस वारदात को अंजाम दिया है और उसने अपने साथ 4-5 और लोगों को भी इस काम में शामिल किया है. उस शख्स के साथ-साथ उन सभी को उस वारदात के बारे में जानकारी (knowledge) है, और उन्होंने ये जानते हुए भी की वो शख्श अपराध करने जा रहा है, फिर भी उसका साथ दिया और उस वारदात को मिलकर अंजाम दिया. तो ऐसे हालात में अगर उन सभी आरोपियों (Accused) के खिलाफ अपराध सिद्ध हो जाता है तो वारादात में शामिल हर एक शख्स के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा (35 Section 35) के तहत कार्यवाही (Action) की जाएगी.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 34: जानें, क्या होती है आईपीसी की धारा 34? 

क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
 

 

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