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IPC Section 39: जानें, क्या होती है आईपीसी की धारा 39?

आईपीसी (IPC) की धारा 39 (Section 39) स्वेच्छया (Voluntarily) के बारे में बताती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 39 इस बारे में क्या बताती है?

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IPC की धारा 39 स्वेच्छया को परिभाषित करती है
IPC की धारा 39 स्वेच्छया को परिभाषित करती है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्वेच्छया से संबंधित है IPC की धारा 39
  • 1862 में लागू की गई थी आईपीसी

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) कानून (Law) और उनसे जुड़े प्रावधानों (Provisions) के के साथ-साथ अपराध (Offence) और सजा (Punishment) के बारे में भी जानकारी देती है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 39 (Section 39) स्वेच्छया (Voluntarily) के बारे में बताती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 39 इस बारे में क्या बताती है?

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आईपीसी की धारा 39 (IPC Section 39)
Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 39 (Section 39) का संबंध अपराध में स्वेच्छया (Voluntarily) से है. सेक्शन 39 के मुताबिक "कोई व्यक्ति (Person) किसी परिणाम (causes a result) को उन साधनों द्वारा कारित (caused by means) करता है, जिनके द्वारा उसे कारित करना उसका आशय था (he meant to cause it) या उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिन साधनों को काम में लाते समय वह यह जानता (knew) था, या यह विश्वास करने का कारण (had reason to believe) रखता था कि उनसे उसका कारित होना संभाव्य है, 'स्वेच्छया' (Voluntarily) कारित (causing) करना कहलाता है.

इसे साधारण भाषा में ऐसे समझें कि एक शख्स रात के समय किसी बड़े शहर में बसे हुए एक घर में डकैती को आसान बनाने के मकसद से आग लगाता है. और इस वजह से वहां एक व्यक्ति की मौत हो जाती है. इस मामले में आरोपी शख्स का इरादा किसी को मारने का नहीं हो सकता, और उसे इस बात का अफसोस भी हो सकता है कि मौत उसकी वजह से हुई है. फिर भी, अगर वह जानता था कि उसकी इस करतूत से किसी की मौत हो सकती थी, तो वह मरने वाली की मौत उसकी स्वेच्छा की वजह से हुई मानी जाएगी. 

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इसे भी पढ़ें--- IPC Section 38: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 38?

क्या है आईपीसी (IPC)?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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