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IPC Section 57: क्या होते हैं 'सजा की शर्तों के अंश', यही बताती है आईपीसी की धारा 57

आईपीसी (IPC) की धारा 57 (Section 57) 'सजा की शर्तों के अंश' को परिभाषित (defined) करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 57 क्या कहती है?

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IPC की धारा 57 सजा की शर्तों के अंश को परिभाषित करती है
IPC की धारा 57 सजा की शर्तों के अंश को परिभाषित करती है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सजा की शर्तों के अंश से जुड़ी है IPC की धारा 57
  • सजा की शर्तों के अंश को परिभाषित करती है धारा 57
  • भारत में अंग्रेजों ने लागू की थी आईपीसी

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) में जुर्म (Offence) और उनकी सजा (Punishment) के साथ-साथ कई शब्दों (words) और मामलों (cases) की कानूनी जानकारी (legal Information) भी दर्ज है. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 57 (Section 57) 'सजा की शर्तों के अंश' को परिभाषित (defined) करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 57 क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 57 (IPC Section 57) 
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 57 (Section 57) में सजा की शर्तों के अंश (Fractions of terms of punishment) को परिभाषित (defined) करती है. IPC की धारा 57 के अनुसार 'दण्डावधियों (terms of punishment) की भिन्नों की गणना (calculating) करने में, आजीवन कारावास (Life Imprisonment) को बीस वर्ष के कारावास (Imprisonment) के तुल्य गिना जाएगा.'

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 56: यूरोपियन-अमेरिकियों की दंड दासता की सजा से जुड़ी थी आईपीसी की धारा 56 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किए गए कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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