Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं में जुर्म (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के प्रावधान (Provision) तो मिलते ही हैं साथ ही अन्य मामलों (cases) की कानूनी जानकारी (legal Information) भी मिल जाती है. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 60 (Section 60) में यह साफ होता है कि कारावास की सजा के कुछ मामलों में कारावास (Imprisonment) का पूरा या कोई हिस्सा कठोर (Harsh) या साधारण (simple) हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 60 क्या बताती है?
आईपीसी की धारा 60 (IPC Section 60)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 60 (Section 60) में बताया गया है कि दण्डादिष्ट कारावास (sentenced imprisonment) के कतिपय मामलों (certain cases) में सम्पूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन (Harsh) या सादा (Simple) हो सकेगा. IPC की धारा 60 के अनुसार हर मामले में, जिसमें अपराधी (offender) दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय (punishable) है, वह न्यायालय (Court), जो ऐसे अपराधी को दण्डादेश देगा, सक्षम होगा कि दण्डादेश में यह निर्दिष्ट करे कि ऐसा सम्पूर्ण कारावास (complete imprisonment) कठिन होगा, या यह कि ऐसा सम्पूर्ण कारावास सादा होगा, या यह कि ऐसे कारावास का कुछ भाग कठिन (Harsh) होगा और शेष सादा (Simple).
साधारण शब्दों में कहें तो इस बात का मतलब (Meaning) ये है कि कारावास की सजा (sentence of imprisonment) के कुछ मामलों में (in some cases) कारावास (imprisonment) का पूरा या कोई हिस्सा कठोर (Harsh) या साधारण (Simple) हो सकता है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.