Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. साथ ही अन्य मामलों (cases) की कानूनी जानकारी (legal Information) भी आईपीसी में मिल जाती है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 62 (Section 62) में सजा पाए अपराधियों की संपत्ति को जब्त किए जाने (forfeiture of property) की सजा (Sentence) का प्रावधान हुआ करता था. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 62 इस बारे में क्या बताती थी?
आईपीसी की धारा 62 (IPC Section 62)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 62 (Section 62) में मौत (death), निर्वासन (transportation) या कारावास (imprisonment) की सजा पाए (punishable) अपराधियों (offenders) की बाबत सम्पत्ति का समपहरण (Forfeiture) किए जाने का प्रावधान (Provision) मिलता था. लेकिन आईपीसी (संशोधन) अधिनियम, 1921 (Indian Penal Code (Amendment) Act, 1921) की धारा (4 section 4) के तहत इसे निरसित कर दिया गया था.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.