भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में जुर्म (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के प्रावधान (Provision) तो मिलते ही हैं, साथ-साथ अन्य मामलों (cases) की कानूनी जानकारी (legal Information) भी हासिल होती है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 65 (Section 65) में जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि का प्रावधान किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 65 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 65 (IPC Section 65)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 65 (Section 65) में बताया गया है कि जब कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किए जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि कितनी हो. IPC की धारा 65 के अनुसार, यदि अपराध (Crime) कारावास (Imprisonment) और जुर्माना (fine) दोनों से दण्डनीय (punishable) हो, तो वह अवधि, जिसके लिए जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए न्यायालय (Court) अपराधी को कारावासित करने का निदेश (order to imprison) दे, कारावास की उस अवधि (that term of imprisonment) की एक चौथाई से अधिक न होगी, जो अपराध (Crime) के लिए अधिकतम नियत (maximum fixed) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.