Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराओं (Section) में अपराध (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के प्रावधान (Provision) के साथ-साथ अन्य कानूनी जानकारी (legal Information) भी मिलती है. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 66 (Section 66) में जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास (Description of imprisonment) दिया जाए? यह बताया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 66 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 66 (IPC Section 66)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 66 (Section 66) में यह बताया गया है कि जब कोई जुर्माना (Fine) नहीं देगा, तो उसे किस तरह के कारावास (Imprisonment) की सजा दी जाएगी. IPC की धारा 66 के अनुसार, वह कारावास, जिसे न्यायालय (Court) जुर्माना देने में चूक (Default of Payment of a Fine) होने की दशा के लिए अधिरोपित (Imposed) करे, ऐसी किसी भांति (Kind) का होगा, जिससे अपराधी (Offender) को उस अपराध (Offence) के लिए दंडित (Sentenced) किया जा सकता था.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.