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IPC Section 71: कई अपराधों से मिलकर बने जुर्म के लिए दण्ड की अवधि का प्रावधान करती है ये धारा

आईपीसी (IPC) की धारा 71 (Section 71) में कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि का प्रावधान किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 71 इस बारे में क्या कहती है?

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अपराध के लिए दण्ड की अवधि का प्रावधान करती है आईपीसी की धारा 71
अपराध के लिए दण्ड की अवधि का प्रावधान करती है आईपीसी की धारा 71
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अपराध के लिए दण्ड की अवधि से जुड़ी है IPC की धारा 71
  • दण्ड की अवधि को परिभाषित करती है धारा 71
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू की गई थी IPC

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में जुर्म (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के प्रावधान (Provision) के साथ-साथ अन्य कानूनी जानकारी (legal Information) भी मिलती हैं. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 71 (Section 71) में कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिए दण्ड की अवधि का प्रावधान किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 71 इस बारे में क्या कहती है?

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आईपीसी की धारा 71 (IPC Section 71) 
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 71 (Section 71) में कई अपराधों से मिलकर बने जुर्म (Offence made up of several offences) के लिए दण्ड की अवधि (Limit of punishment ) को परिभाषित करने का प्रावधान मिलता है. IPC की धारा 71 के अनुसार-

जहां कि कोई अपराध (Offence) कार्य, ऐसे भागों से, जिनका कोई भाग स्वयं अपराध (Offence is made up of parts) है, मिलकर बना है, वहां अपराधी (Offender) अपने ऐसे अपराधों में एक से अधिक के दण्ड से दण्डित नहीं (Not punished with more than one sentence) किया जाएगा, जब तक कि ऐसा स्पष्ट रूप से उपबन्धित (Provided) न हो. जहां कि कोई बात अपराधों को परिभाषित (Define offenses) या दण्डित करने वाली किसी तत्समय प्रवॄत्त विधि (Law for the time being in force) की दो या अधिक पॄथक् परिभाषाओं (Separate definitions) में आने वाला अपराध है, 

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अथवा जहां कि कई कार्य, जिनमें से स्वयं एक से या स्वयं एकाधिक से अपराध (Multiple offenses) गठित होता है, मिलकर भिन्न अपराध (Different offenses) गठित करते हैं; वहां अपराधी को उससे कठोर दण्ड (Harsh punishment) से दण्डित नहीं किया जाएगा, जो ऐसे अपराधों में से किसी भी एक के लिये न्यायालय (Court) विचार (trial) करके अपराधी को सजा दे सकता है.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 70: छह साल के अंदर चुकाना होता है जुर्माना, बताती है धारा 70 

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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