Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 75 (Section 75) में पिछली सजा के बाद अध्याय 12 या अध्याय 17 के तहत कुछ अन्य अपराधों के लिए बढ़ी हुई सजा के संबंध में प्रावधान किया गया है. तो आइए आपको बताते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 75 इस विषय में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 75 (IPC Section 75)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 75 (Section 75) में पिछली सजा (Previous sentence) के बाद अध्याय 12 (Chapter 12) या अध्याय 17 (Chapter 17) के तहत कुछ अन्य अपराधों (Certain offences) के लिए बढ़ी हुई सजा (Enhanced punishment) को परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार, जो कोई व्यक्ति-
भारत में किसी न्यायालय द्वारा (By a Court in India) इस संहिता के अध्याय 12 या अध्याय 17 के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय (Punishable with imprisonment) अपराध के लिए दोषसिद्ध (Convicted) हो, उन अध्यायों के तहत किसी अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध का दोषी (Guilty of crime) हो, होने वाले प्रत्येक अपराध के लिए विषय वस्तु (Subject matter) हो, तो उसे आजीवन कारावास (life imprisonment) या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.