Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) मिलते हैं. जिनका इस्तेमाल अदालत (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियां (Legal agencies) ज़रूरत के हिसाब से करती हैं. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 79 (Section 79) विधि द्वारा न्यायानुमत (Justified) या तथ्य की भूल से अपने को विधि (Law) द्वारा न्यायानुमत होने का विश्वास करने वाले व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य के बारे में बताती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 79 क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 79 (IPC Section 79)
IPC की धारा 79 (Section 79) के अनुसार, कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए, जो उसे करने के लिए विधि (Law) द्वारा न्यायानुमत (Justified) हो, या तथ्य की भूल (Mistake of fact) के कारण, न कि विधि की भूल (Error of law) के कारण सद्भावपूर्वक विश्वास (Good faith) करता हो कि वह उसे करने के लिए विधि द्वारा न्यायानुमत है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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