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IPC Section 8: जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 8, क्या है प्रावधान?

आईपीसी की कई धाराएं है, जो आईपीसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को समझाने का कार्य करती हैं. ऐसी ही है आईपीसी की धारा 8. जिसके बारे में हम जानेंगे कि इस सेक्शन (Section) का क्या काम है?

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IPC के सेक्शन 8 में शब्दों लेकर बात की गई है
IPC के सेक्शन 8 में शब्दों लेकर बात की गई है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • IPC में शब्दों की परिभाषा से संबंधित है धारा 8
  • स्त्री लिंग और पुलिंग को लेकर एक ही शब्द का प्रयोग
  • अंग्रेजों ने बनाई थी आईपीसी (IPC)

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC में सबके लिए एक समान कानून (Law) होने का संदेश मिलता है. ऐसे ही आईपीसी की कई धाराएं है, जो आईपीसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को समझाने का कार्य करती हैं. ऐसी ही है आईपीसी की धारा 8. जिसके बारे में हम जानेंगे कि इस सेक्शन (Section) का क्या काम है और इसमें क्या प्रावधान (Provisions) है. 

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क्या होती है IPC की धारा 8 (Section 8)
भारतीय दंड संहिता ((Indian Penal Code) यानी आईपीसी की धारा 8 (Section 8) के अनुसार, पुलिंग वाचक शब्द जहां प्रयोग किए गए हैं, वे हर व्यक्ति के बारे में लागू हैं, चाहे नर हो या नारी.
 
सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने आईपीसी की धारा 8 पर आम भाषा में प्रकाश डालते हुए बताया कि सेक्शन 8 आईपीसी में ये प्रोविजन है कि जहां He शब्द का प्रयोग किया गया है, तो वो He और She दोनों के लिए इस्तेमाल होगा यानी पुरुष और महिला दोनों के लिए इस्तेमाल होगा. 

 

 

क्या है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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1862 में लागू हुई थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं. 

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