Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) मिलते हैं. जिनका इस्तेमाल अदालत (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियां (Legal agencies) ज़रूरत के हिसाब से करती हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 80 (Section 80) विधिपूर्ण कार्य करने के समय में होने वाली दुर्घटना को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 80 क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 80 (IPC Section 80)
IPC की धारा 80 (Section 80) के अनुसार, कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो दुर्घटना या दुर्भाग्य (Accident or misfortune) से और किसी आपराधिक आशय (criminal intent) या ज्ञान के बिना विधिपूर्ण (Lawful) प्रकार से विधिपूर्ण साधनों द्वारा और उचित सतर्कता (Due diligence) और सावधानी के साथ विधिपूर्ण कार्य करने में हो जाती है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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