Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अदालत (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियां (Legal agencies) के लिए विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) मिलते हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 81 (Section 81) में उस कार्य को परिभाषित किया गया है, जो किसी अपहानि को रोकने के लिए किया जाता है और उसके पीछे कोई आपराधिक मंशा नहीं होती. लेकिन उस कार्य से नुकसान होने की आशंका बनी रहती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 81 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 81 (Indian Penal Code Section 81)
कोई बात केवल इस कारण अपराध (Offence) नहीं है कि वह यह जानते हुए की गई है कि उससे अपहानि (Harm) कारित होना संभाव्य (Probable) है, यदि वह अपहानि कारित करने के किसी आपराधिक आशय के बिना (Without criminal intent) और व्यक्ति या संपत्ति (Person or property) को अन्य अपहानि का निवारण (Prevention of harm) या परिवर्जन करने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक (In good faith) की गई हो.
साधारण भाषा में कहें तो आईपीसी की धारा 81 के अनुसार, बिना किसी आपराधिक साजिश (Criminal conspiracy) और इरादे के किया गया वो काम, जो जानो-माल के किसी नुकसान (Harm) को रोकने के लिए किया जाए और उसमें किसी नुकसान के होने की आशंका (fear) हो.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.