भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में न्यायालय (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियां (Legal agencies) के लिए विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) मौजूद हैं. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 82 (Section 82) सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किए गए आपराधिक कार्य के बारे में प्रावधान बताती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 82 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 82 (Indian Penal Code Section 82)
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 82 हमें 7 साल से कम उम्र वाले बच्चों के द्वारा किए गए अपराध के बारे में कानूनी प्रावधान (Legal provision) बताती है. आईपीसी की धारा 82 (Section 82) के अनुसार, ऐसी कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो सात वर्ष से कम आयु (Under seven years of age) के शिशु (Child)द्वारा की जाती है.
आम भाषा में कहें तो आईपीसी की धारा 82 के मुताबिक, सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है. जिसका मतलब ये है कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु कोई अपराध नहीं कर सकता है और ना ही उसे इसके लिए कोई सजा (Punishment) दी जा सकती है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.