Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में पुलिस (Police), अदालत (Court) और अन्य कानूनी एजेंसियों (Legal agencies) के लिए कई तरह के कानूनी प्रावधान (Legal provision) मिलते हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 83 (Section 83) सात वर्ष से ज्यादा लेकिन 12 साल से कम आयु के बच्चे द्वारा किए गए कार्य के बारे में प्रावधान करती है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 83 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 83 (Indian Penal Code Section 83)
Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 83 में सात वर्ष से ऊपर किंतु बारह वर्ष से कम (Above seven and under twelve) आयु के अपरिपक्व समझ के शिशु (Preterm Child) का कार्य परिभाषित (Define) किया गया है. IPC की धारा 83 के अनुसार, कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो सात वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम (Above seven years of age and under twelve) आयु के ऐसे बच्चे द्वारा की जाती है जिसकी समझ इतनी परिपक्व (Mature) नहीं हुई है कि वह उस अवसर पर अपने आचरण की प्रकृति और परिणामों (Nature and consequences of conduct) का निर्णय कर सके.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
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