Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराएं कई पदों को परिभाषित करने के साथ-साथ उनके बारे में जानकारी भी देती हैं. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 90 (Section 90) उस सम्मति के बारे में बताती है, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह डर या भ्रम के तहत दी गई है. तो चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 90 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 90 (Indian Penal Code Section 90)
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 90 (Section 90) में ऐसी सम्मति को परिभाषित (Define consent) करती है, जिसके बारे में यह पता हो कि वह डर या भ्रम के तहत (Under fear or confusion) दी गई है. IPC की धारा 90 के अनुसार, कोई सम्मति ऐसी सम्मति नहीं है जैसी इस संहिता की किसी धारा से आशयित है, यदि वह सम्मति किसी व्यक्ति ने क्षतिभय के अधीन (Subject to damage), या तथ्य के भ्रम के अधीन (Under illusion) दी हो, और यदि कार्य करने वाला व्यक्ति यह जानता हो या उसके पास विश्वास करने का कारण (Reason to believe) हो कि ऐसे भय या भ्रम के परिणामस्वरूप (Resulting) वह सम्मति दी गई थी;
अथवा उन्मत व्यक्ति की सम्मति (Consent of insane person) - यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ति ने दी हो या चित्तृविकृति (Neuropathy) या मत्तता (Drunkenness) के कारण उस बात की, जिसके लिए वह अपनी सम्मति देता है, प्रकृति और परिणाम (nature and consequences) को समझने में असमर्थ (Unable) हो;
अथवा शिशु की सम्मति (Consent of child) - जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल (Out of context) प्रतीत न हो, यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ति ने दी हो जो बारह वर्ष से कम (Under twelve years) आयु का है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.