Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराएं (Sections) अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) के लिए प्रावधान करती है. साथ ही कई शासकीय पदों पर आसीन अधिकारियों की शक्ति को भी परिभाषित करती हैं. इसी प्रकार आईपीसी (IPC) की धारा 94 (Section 94) उस काम की व्याख्या करती है, जिसे करने के लिए किसी व्यक्ति को धमकाकर मजबूर किया जाता है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 94 इस बारे में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 94 (Indian Penal Code Section 94)
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 94 (Section 94) में वो काम परिभाषित किया गया है, जिसे करने के लिए एक व्यक्ति को धमकाकर मजबूर किया जाता है. IPC की धारा 94 के अनुसार, हत्या और मृत्यु से दंडनीय (punishable with murder and death) उन अपराधों को जो राज्य के विरुद्ध (Against the state) है, छोड़कर कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए ऐसी धमकियों (Threats) से विवश होकर (being forced) किया गया हो जिनसे उस बात को करते समय उसको युक्तियुक्त रूप (Reasonable form) से यह आशंका कारित (cause of apprehension) हो गई हो कि अन्यथा परिणाम (Result) यह होगा कि उस व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाए, परन्तु यह तब जबकि उस कार्य को करने वाले व्यक्ति ने अपनी ही इच्छा से या तत्काल मृत्यु से कम अपनी अपहानि की युक्तियुक्त आशंका (Reasonable apprehension of harm) से अपने को उस स्थिति में न डाला हो, जिसमें कि वह ऐसी मजबूरी के अधीन (Under compulsion) पड़ गया है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.