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IPC Section 96: प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग से संबंधित है IPC की धारा 96

आईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक आत्मरक्षा के अधिकार के प्रावधान बताए गए हैं. इसी कड़ी में आईपीसी की धारा 96 (IPC Section 96) प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बात को परिभाषित करती है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 96 इस बारे में क्या कहती है?

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प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातों से जुड़ी है ये धारा
प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बातों से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प्रतिरक्षा में की गई बातों से जुड़ी है ये धारा
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धाराएं (Sections) अपराध (Offence) और उनकी सजा (Punishment) के लिए प्रावधान तो बताती ही है, साथ ही यह आत्मरक्षा के अधिकार (Right to self defense) की बात भी करती है. यही वजह है कि आईपीसी की धारा 96 से लेकर 106 तक आत्मरक्षा के अधिकार के प्रावधान बताए गए हैं. इसी कड़ी में आईपीसी की धारा 96 (IPC Section 96) प्राइवेट प्रतिरक्षा में की गई बात को परिभाषित करती है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 96 इस बारे में क्या कहती है?
 
आईपीसी की धारा 96 (Indian Penal Code Section 96)
भारत के हर नागरिक को अपनी सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा (Security and protection of property) करने का मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) हासिल है. भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 96 (Section 96) में बताया गया है कि कोई बात अपराध (Offence) नहीं है, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार (Right of private defence) के प्रयोग में की जाती है. साधारण भाषा में इसे कहें तो निजी सुरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए किया गया कार्य अपराध नहीं माना जाएगा.

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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
 
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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