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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इजरायल विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले सात युवकों को रिहा कर दिया है. इनमें ग्रैफिटी आर्टिस्ट मुदासिर गुल भी शामिल हैं. बताया जा रहा है गुल ने दीवार पर पेंटिंग बनाई थी जिस पर लिखा था- ‘हम फिलिस्तीन हैं.’
32 साल के गुल समेत सात युवकों को रविवार को रिहा किया गया. इन गिरफ्तारियों की स्थानीय स्तर पर कलाकारों, सिविल सोसाइटी और राजनेता वर्ग की ओर से निंदा की गई थी.
पुलिस के आधिकारिक बयान के मुताबिक प्रदर्शन में हिस्सा लेने की वजह से गिरफ्तार किया गया था. कोरोना कर्फ्यू के दौरान इस तरह का प्रदर्शन डीएम एक्ट की धारा 51 का उल्लंघन है. इन युवकों की काउंसलिंग के दौरान उनके अभिभावक भी मौजूद रहे. इन युवकों ने इजरायल विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. गिरफ्तार किए युवकों में शामिल मुदासिर गुल म्युरल (दीवार पर चित्र बनाना) आर्टिस्ट हैं. गुल को शुक्रवार रात को गिरफ्तार किया गया था.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, “दुनिया भर में लोग फिलिस्तीनियों पर इजरायल के अत्याचारों की निंदा कर रहे हैं. लेकिन कश्मीर में ऐसा करना दंडनीय अपराध है जहां एक आर्टिस्ट पर मुकदमा चलाया जाता है, एक उपदेशक को गिरफ्तार किया जाता है. सिर्फ इसलिए कि वो फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता जता रहे हैं. फिलिस्तीन के साथ एकजुटता जताना अपराध नहीं है.”
People all over the world are protesting against the atrocities committed by Israel on Palestine. But in Kashmir its a punishable offence where an artist is booked under PSA & a preacher is arrested simply for expressing solidarity with Palestinians.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 16, 2021
शनिवार को पुलिस ने कहा था कि उसने करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उन लोगों को भी सख्त चेतावनी दी थी जो सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन-इजरायल मुद्दे पर कमेंट कर रहे थे. पुलिस का कहना था कि फिलिस्तीन की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के नाम पर किसी को भी कश्मीर घाटी की शांति और व्यवस्था को भंग नहीं करने दिया जाएगा.
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कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने कहा, “हम प्रोफेशनल फोर्स हैं और लोगों की नाराजगी को लेकर संवेदनशील हैं. लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस के ऊपर साथ ही कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी है. लोगों की नाराजगी को हिंसा, अव्यवस्था में बदलने के मकसद से निहित स्वार्थों को स्थिति का फायदा उठाने की हर्गिज इजाजत नहीं दी जा सकती.”
पुलिस का कहना है कि लोगों को अपनी राय जताने का अधिकार है लेकिन वो कोविड महामारी के दौरान प्रदर्शन नहीं कर सकते. पुलिस के एक बयान में कहा गया, राय व्यक्त करना एक स्वतंत्रता है लेकिन सड़कों पर हिंसा को उकसावा देना गैर कानूनी है. सोशल मीडिया पर इस तरह के भी गैर जिम्मेदार कमेंट्स जो वास्तविक हिंसा या कोविड प्रोटोकॉल को तोड़ने के रूप में सामने आते हैं, उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.”