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सेना, पुलिस और नॉन कश्मीरियों की टारगेट किलिंग... कश्मीर में आतंक का नया चेहरा कैसे बन गया TRF

जेल महानिदेशक हेमंत लोहिया की हत्या के पीछे आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) का नाम सामने आना अपने आप में किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है. आखिर क्या है TRF का इतिहास? कैसे बना ये आतंकी संगठन?

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TRF के आतंकी घाटी में ज्यादातर टारगेट किलिंग को अंजाम दे रहे हैं
TRF के आतंकी घाटी में ज्यादातर टारगेट किलिंग को अंजाम दे रहे हैं

जम्मू कश्मीर के जेल महानिदेशक हेमंत के लोहिया (Hemant K Lohia) की हत्या के मामले में पुलिस ने उनके आरोपी नौकर यासिर अहमद को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन डीजी हेमंत लोहिया की मौत की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा (LET) से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) ने ली है. TRF कोई पुराना आतंकी संगठन नहीं है. ये आतंकी समूह 2019 में वजूद में आया था. हालांकि इसका नाम धारा 370 हटाए जाने के बाद उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब इसने टारगेट किलिंग की कई वारदातों को अंजाम दिया.

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टीआरएफ (TRF) ने ली हत्या की जिम्मेदारी
जम्मू कश्मीर पुलिस का कहना है कि अब तक इस वारदात में टेरर एंगल सामने नहीं आया है. हालांकि पुलिस इसके पीछे आतंकी साजिश से इनकार भी नहीं कर रही है. ऐसे में घाटी के नए आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) का नाम सामने आना अपने आप में किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रहा है. आखिर क्या है TRF का इतिहास? कैसे बना ये आतंकी संगठन? कौन है इस संगठन का सबसे बड़ा चेहरा? आइए जानते हैं इन सब सवालों के जवाब. 

आतंक का नया नाम टीआरएफ
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जब से वजूद में आया है, इसके निशाने पर जम्मू कश्मीर के सरपंच और स्थानीय नेता रहे हैं. उस वक्त इस आतंकवादी समूह ने श्रीनगर के लाल चौक पर सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर हमला भी किया था. दरअसल, TRF के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ माना जाता है. यह संगठन उस वक्त चर्चाओं में आया था, जब साल 2020 में इसने बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी. भारतीय एजेंसियों के मुताबिक कश्मीर में अन्य बीजेपी नेताओं की हत्या के पीछे भी इसी संगठन का हाथ रहा है. या हम ये कह सकते हैं कि घाटी में अब आतंक का दूसरा नाम बन गया है द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF),

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TRF के पीछे लश्कर का हाथ
कुछ जानकार बताते हैं कि यह संगठन जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद बनाया गया था. जो लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के लिए एक कवर की तरह काम करता है. इस संगठन को बनाने की साजिश सरहद पार रची गई थी. जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन के साथ-साथ पाक एजेंसी आईएसआई भी शामिल थी. मकसद था कि भारत में होने वाले आतंकी हमलों में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर ना आ पाए, और वह फाइनेंसिशयल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) में ब्लैकलिस्ट होने से बच जाए.

ऐसे सामने आया इस संगठन का नाम
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में बड़ा आतंकी हमला हुआ था. उसी दौर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई और कुछ दूसरे आतंकी समूहों की मदद से एक नया संगठन बनाया. जिसे नाम दिया गया द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF. लेकिन तब इसके बारे में किसी एजेंसी या कश्मीर के लोगों को जानकारी नहीं थी. मगर जब अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया, तो इस संगठन के आतंकी अचानक घाटी में सक्रीय हो गए और उन्होंने एक बाद एक कई वारदातों को अंजाम दिया.

पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब
असल में यही वो दौर था, जब पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब हो चुका था. उस पर पूरी दुनिया आतंकी संगठनों पर नकेल कसने का दबाव बना रही थी. पाकिस्तान के आका समझ चुके थे कि अब आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कुछ ना कुछ तो करके दिखाना होगा. तब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने घाटी में दहशतगर्दी फैलाने वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए तैयबा (LeT) के साथ मिलकर एक नया आतंकी संगठन बनाया और उसे नाम दिया द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF).

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आतंक को बढ़ावा देना ही मकसद
नए आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का एक ही मकसद है आतंक फैलाना. टीआरएफ जम्मू कश्मीर घाटी में एक बार फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में हुआ करता था. यानी आतंक का राज. वो जम्मू कश्मीर के कोने-कोने में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है. लेकिन हमेशा उसे भारतीय एजेंसियों और सेना की तरफ से कड़ा जवाब मिलता है. सरहद पार से इस संगठन को जितनी चाहे मदद मिल जाए, लेकिन अब भारतीय सेना और एजेंसियां इसे सिर उठाने नहीं देती हैं. 

 
टारगेट किलिंग पर फोकस
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने वजूद में आने के बाद सबसे ज्यादा टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम दिया है. इस आतंकी संगठन ने सबसे ज्यादा पुलिस अफसरों और नेताओं को अपना निशाना बनाया. TRF से जुड़े लोग सूबे में होने वाली हर सरकारी और सियासी गहमा गहमी पर नजर रखते हैं. इसके लिए वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. खासकर भारतीय सेना और पुलिस के लोगों पर इस संगठन की नजर रहती है. वे बीजेपी नेताओं को अपना निशाना बनाते रहे हैं. जिनमें कई इलाकों के सरपंच और स्थानीय नेता शामिल हैं.

निशाने पर गैर कश्मीरी
टीआरएफ (TRF) के आतंकी चाहते हैं कि कोई भी दूसरे राज्य का शख्स कश्मीर में ना रहे. यही वजह है कि वे सेना, पुलिस और नेताओं के अलावा गैर कश्मीरियों को अपना टारगेट बनाते हैं. इस आतंकी संगठन की पुरजोर कोशिश यही रहती है कि बाहर से आए लोगों में इतना खौफ भर दिया जाए कि वे लोग जम्मू कश्मीर में आने या कोई काम करने जैसी बातें बिल्कुल भूल जाएं.

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