
G-20 Locations Codenames: राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में G20 समिट सफलतपूर्वक संपन्न हो चुकी है. इस दौरान सुरक्षा में लगे दिल्ली पुलिस के कर्मियों को दो दिन की छुट्टी मिलेगी. आखिर सुरक्षा एजेंसियों और फोर्स के चाक-चौबंद इंतजामात का ही असर था कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना तक सामने नहीं आ पाई. इसकी वजह साफ है कि जी20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर पर राष्ट्रीय राजधानी, खासकर नई दिल्ली में पुलिस, अर्धसैनिक बल और अन्य एजेंसियां चप्पे-चप्पे पर नजर रख रही थीं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की देखरेख में एजेसियों ने पहले से ही काफी प्लानिंग कर रखी थी.
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, G-20 के सफल आयोजन और सुरक्षा के मद्देनजर गृह मंत्रालय और कम्युनिकेशन यूनिट्स के साथ कुछ स्टैंडर्ड प्रक्रिया के तहत कोडवर्ड्स तय किए गए थे. ये कोडवर्ड्स गृह मंत्रालय की देखरेख में दिल्ली पुलिस की सिक्योरिटी यूनिट, एसपीजी और कम्युनिकेशन यूनिट के बीच ही शेयर किए गए थे.
बाइडेन के होटल का नाम 'पंडोरा'
इसी के मद्देनजर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक जिन होटल में रुके थे, उन सभी होटलों का नाम एक-एक कोडवर्ड में रखा गया था.
मसलन, जो बाइडन जिस आईटीसी मौर्य शेरेटन होटल (Hotel ITC Maurya Sheraton) में रुके थे, उसका नाम 'पंडोरा' रखा गया था. वहीं, ऋषि सुनक जिस होटल में रुके थे, उसे सुरक्षा एजेंसियों ने 'समारा' नाम दिया था.
राजघाट का नाम 'रुद्रपुर'
यही नहीं, नई दिल्ली के जिन-जिन स्थानों पर राष्ट्राध्यक्षों का जमघट लगा, उनका भी नाम कोड वर्ड्स में रखा गया था. जैसे कि राजघाट का नाम 'रुद्रपुर' और प्रगति मैदान को 'निकेतन.' होटल ली मेरिडियन का नाम 'महाबोधि' और साथ ही ताज मानसिंह होटल का नाम 'पैरामाउंट' रखा गया था.
बता दें कि वीवीआईपी मूवमेंट वाली जगहों के नाम कोडवर्ड्स में इसलिए रखे जाते हैं, ताकि लोकेशन को सीक्रेट रखा जा सके. एसपीजी ऑफिसर्स ने वायरलेस पर भी इन्हीं कोडवर्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है ताकि सुरक्षा में चूक न हो सके.
G-20 के दौरान इन कोडवर्ड्स को बेहद सीक्रेट रखा गया था. इसकी चर्चा कहीं नहीं की गई. यहां तक कि जूनियर लेवल पर पुलिस स्टाफ को भी इन कोडवर्ड्स की भनक नहीं थी.
नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अचूक और अभूतपूर्व तैयारियां की गई थीं. दुनिया के 20 सबसे ताकतवर मुल्कों के नेताओं, 1200 गणमान्य व्यक्तियों समेत हजारों की संख्या में आए अतिथियों के लिए करीब 500 वीवीआईपी कारों का काफिला मौजूद था. वीवीआईपी मेहमानों के रुकने के लिए 23 पांच सितारा होटल और मीटिंग के प्रगति मैदान के भारत मंडपम की एक छत का इंतजाम था.
40 हजार से ज्यादा कैमरों से निगरानी
विदेशी मेहमानों की सुरक्षा की खातिर 50 हज़ार दिल्ली पुलिस के जवान, पैरामिलिट्री फ़ोर्स, एनएसजी और सीआरपीएफ के कमांडो तैनात किए गए थे. आयोजन स्थल के दायरे में आने वाली हाई राइज़ बिल्डिंग पर एंटी एयरक्राफ्ट गन लगाई गई थीं. पूरे इलाके में 40 हज़ार से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे और चेहरे को पढ़ने वाले 'फ़ेस रिकॉगनिशन' कैमरे लगाए गए. पुलिस के साथ-साथ कमांडो और स्नाइपर्स भी आयोजन स्थल और उसके आस-पास नजर रख रहे थे.
हर जोन में एक कमांडर की तैनाती
सुरक्षा के मद्देनजर होटल से भारत मंडपम यानी प्रगति मैदान तक के पूरे रास्ते को अलग-अलग ज़ोन या वैन्यू में बांट दिया गया था. हर ज़ोन या वैन्यू की सुरक्षा का जिम्मा अलग-अलग कमांडरों को सौंपा गया था. हर कमांडर विदेशी मेहमानों के सुरक्षाकर्मियों से सीधे संपर्क में था. सभी कमांडर आईपीएस अफसर थे. जिन होटलों में वीवीआईपी मेहमानों को रखा गया, वहां हर फ्लोर के लिए अलग स्टाफ था. यहां तक कि जो कार्ड उन्हें दिया गया, वह खास जी-20 के लिए बनाया गया था. कोई भी स्टाफ अपनी मर्जी से ना तो घूम सकता था और न ही एक फ्लोर से दूसरे फ्लोर पर जा सकता था.
होटलों में रखे गए थे लोडेड वेपन
अगर तमाम तैयारी के बावजूद किसी भी हमले के दौरान पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को हथियारों की कमी न पड़ जाए, इसके लिए बाकायदा होटलों के अंदर हथियारों से भरा गोदाम बनाया गया था. सुरक्षा एजेंसियों को खास इस मौके के लिए तमाम आधुनिक हथियार मुहैया कराए गए थे. जिन हथियारों का इस्तेमाल जवान कर रहे थे, उनके लिए बुलेट से भरी मैगजीन, स्मोक ग्रेनेड और कम्यूनिकेशन के लिए वायरलेस सेट के साथ-साथ चार्जर भी स्टॉक किए गए ताकि ऐन वक्त पर कम्यूनिकेशन न टूट पाए.